160 वर्षों बाद, मेंडल के मटर की पहेली सुलझी: वैज्ञानिकों ने खोला जीनोमिक रहस्य

 After 160 years, scientists have finally unraveled the mystery behind Mendel’s pea puzzle: they have cracked the genomic secret! This breakthrough opens up a whole new world of possibilities in the realm of genetics. Stay tuned for more exciting developments in this field! 160 वर्षों बाद, मेंडल के मटर की पहेली सुलझी: वैज्ञानिकों ने खोला जीनोमिक रहस्य

1865 में ग्रेगर मेंडल ने मटर के पौधों पर प्रयोग करके आनुवंशिकी के मूल सिद्धांत स्थापित किए थे। अब, 160 वर्षों बाद, वैज्ञानिकों ने उन मटरों की जीनोमिक विविधता का मानचित्रण करके मेंडल के अधूरे रहस्यों को सुलझा लिया है। यह शोध जॉन इनेस सेंटर (JIC) और चाइनीज एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (CAAS) के नेतृत्व में किया गया, जिसमें चीन, यूके, अमेरिका और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने सहयोग किया।

🔬 मेंडल के 7 लक्षणों की गहराई से समझ

मendel ने मटर के पौधों में सात विरोधी लक्षणों का अध्ययन किया था: बीज का आकार और रंग, फूल का रंग और स्थिति, फली का आकार और रंग, और पौधे की ऊंचाई। हालांकि, इनमें से कुछ लक्षणों के पीछे के जीन अब तक अज्ञात थे। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लगभग 700 मटर की किस्मों का जीनोमिक विश्लेषण करके इन लक्षणों के पीछे के जीन की पहचान की। उदाहरण के लिए, पीले फली के रंग का कारण एक बड़े जीनोमिक विलोपन के कारण क्लोरोफिल उत्पादन में बाधा है, न कि केवल एक जीन में परिवर्तन।

🌱 सतत कृषि के लिए नई संभावनाएं

मटर और अन्य दलहन फसलें नाइट्रोजन को स्वयं मिट्टी में स्थिर कर सकती हैं, जिससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है। इस अध्ययन से प्राप्त जीनोमिक जानकारी के आधार पर, वैज्ञानिक अब अधिक पोषक, रोग-प्रतिरोधी और जलवायु-लचीली मटर की किस्में विकसित कर सकते हैं। यह खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

🧬 वैश्विक सहयोग और डेटा का खजाना

इस परियोजना में 62 टेराबाइट्स डेटा और 25.6 ट्रिलियन जीनोमिक मार्कर का विश्लेषण किया गया, जिससे मटर की विविधता का एक विस्तृत मानचित्र तैयार हुआ। यह डेटा अब शोधकर्ताओं और बीज कंपनियों के लिए उपलब्ध है, जो नई किस्मों के विकास में सहायक होगा।

🧠 मेंडल की विरासत का आधुनिक पुनर्पाठ

इस अध्ययन ने मेंडल के मूल सिद्धांतों को आधुनिक जीनोमिक तकनीकों के माध्यम से पुनः पुष्टि की है। जैसे, फूल के रंग के लिए एक विशेष जीन की पहचान की गई है जो सफेद फूलों को बैंगनी रंग में बदल सकता है। इससे मेंडल के समय के प्रयोगों को नई दृष्टि से समझने का अवसर मिला है।

📌 निष्कर्ष

मेंडल के मटर पर किए गए प्रयोगों ने आनुवंशिकी की नींव रखी थी। अब, आधुनिक विज्ञान ने उन प्रयोगों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, जिससे न केवल वैज्ञानिक समझ बढ़ी है, बल्कि सतत कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिए नए रास्ते भी खुले हैं।

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